गोपाल स्वामी श्री गौशरणानंद सरस्वती जी
“”प्राप्त शरीर का जीवन परिचय””
1. प्राप्त शरीर का वर्तमान नाम:- गोपाल गऊ शरणानंद सरस्वती
2. शरीर की जन्मतिथि:- कार्तिक शुक्ल गोपाष्टमी
जन्म दिनांक:- 9 नवंबर 1994
3. प्राप्त शरीर का पूर्वनाम:- प्रेम प्रताप सिंह पंवार
5. शरीर का जन्म स्थान:- ग्राम, सेदरामाता तहसील, सीतामऊ, जिला मंदसौर, म.प्र.
6. लौकिक शिक्षा:- कक्षा 10वीं तक
7. आध्यात्मिक शिक्षा:-
1. कुलगुरु पंडित रामचन्द्र जी व्यास रामायणी जी द्वारा शिक्षा ग्रहण की।
2. द्वितीय परम् पूज्य गुरुदेव भगवान गोपालाचार्य श्री स्वामी गोपालानंद सरस्वती जी महाराज द्वारा संन्यास ग्रहण किया।
सामान्य जीवन से आध्यात्म यात्रा:-
बाल्यावस्था से ही शरीर के माता-पिता के द्वारा अध्यात्म और सत्यधर्म के मार्ग पर चलने का मार्गदर्शन और गो-सेवा करने के संस्कार प्राप्त हुए। सनातन धर्म के धर्मग्रंथो में ऐसा निर्देश मिलता है कि भगवती गौमाता द्वारा प्रदत गो-गव्य जीवन के समस्त पापों का नाश करते हैं। बाल्यकाल से ही शरीर को भगवती गौमाता के दुग्ध, दही, घृत, छाछ का सेवन करने का आनंद लाभ मिला। परिणामस्वरूप वर्तमान समय में गोमाता की गौ-सेवा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। शरीर के मातृ और पितृ कुल में पूर्व में कई गो-सेवक, संत और संन्यासी हुए। उनका प्रभाव जीवन बाल्यकाल से ही रहा। कही ना कही उन्हीं महापुरुषों के आशीर्वाद से मुझे परम पूज्य ग्वाल संतश्री गोपालाचार्य स्वामी गोपालानंद जी सरस्वती जी जैसे सद्गुरु का सानिध्य प्राप्त हुआ। कुल के संस्कारों के कारण जीवन में गौमाता की सेवा के भाव तो पूर्व से ही थे, परंतु गुरुदेव भगवान के चरणों में जब शरण ली और उनकी वाणी सुनने का जब अवसर प्राप्त हुआ, तब पहली बार एहसास हुआ कि वर्तमान समय में गौमाता की रक्षा एवं उनकी सेवा की महती आवश्यकता है। वर्तमान समय में हजारों गौमाताएं कसाइयों के द्वारा काट दी जाती हैं, पॉलीथीन खाकर प्राण त्याग देती हैं, सड़क दुर्घटना का शिकार हो जाती हैं, धर्मपरायण जनता की उपेक्षाओं की शिकार हो रही हैं,
आहार औषधि और आश्रय हेतु यत्र-तत्र भटकने की लीला कर रही हैं। यह सब देख सुनकर गुरुदेव भगवान की प्रेरणा से मन में ऐसे भाव जागृत हुए की लौकिक जगत की सुख-सुविधाओं को छोड़कर संन्यास मार्ग का आश्रय लेते हुए भगवती गौमाता की सेवा में अपना जीवन बिताना चाहिए। इस विचार के बाद जीवन को गौमाता की सेवा में और परम पूज्य गुरुदेव भगवान के सानिध्य में समर्पित करने का पूरा मन बना लिया।
श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा संचालित कामधेनु गौ अभयारण्य, सालरिया, आगर-मालवा, मध्य प्रदेश, में परम पूज्य गुरूदेव भगवान के मुखारविंद से एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के दौरान मैं परम पूज्य गुरुदेव भगवान के द्वारा सांसारिक मोह माया का त्याग कर संन्यास दीक्षा ग्रहण की और परम पूज्य सद्गुरुदेव भगवान के श्री चरणों में आजीवन गोमाता की निष्काम सेवा हेतू मैंने स्वयम् को समर्पित कर किया। अब जीवन में एक मात्र लक्ष्य है….. भगवती गौ माता की निष्काम भाव से सेवा हो।
जिम्मेदारियां:-
1. 43 नियमों का पालन करते हुए गो कृपा कथा के माध्यम से गो महिमा का प्रचार करना।
2. मध्यप्रदेश में गोमाता कि सेवा रक्षा का कार्य करना।
3. मध्यप्रदेश में एक्सिडेंटल, दुर्घटनाग्रस्त, गोमाता की चिकित्सा सेवा हेतु अत्याधुनिक सुविधाओं से संपन्न गो चिकित्सालय का निर्माण करना।
कार्य सिद्धि हेतु संकल्प :-
1. पूर्णतः गोव्रती प्रसादी का ही सेवन करना।
2. पूर्ण व्यसन मुक्त होकर जीवन-यापन करना।
3. गो-सेवा & गो-दर्शन करके प्रसादी ग्रहण करना।